Career Counselling Seminar

dSREdotCom members honouring the Commissioner Bhuvnesh Kumar

dSREdotCom members honouring the Commissioner Bhuvnesh Kumar

Students of Saharanpur are no less in terms of talent with anyone, yet, in absence of proper education, training and guidance, majority of them do not get what they have potential for.  But not anymore.  RAMSA and the saharanpur.com, ably supported by Glocal University have drawn a road map to reach out to the students of not only cities, but also suburbs and villages of the district Saharanpur for career related guidance.  The three came together, decided to work and move together in right earnest today at a seminar on the topic Importance of Career Counselling at Clark Hotel auditorium, Dehradun Road, Saharanpur in which various principals, teachers, educationists and parents participated.

The Commissioner of Saharanpur  Bhuvnesh Kumar, IAS stressed the need of making students aware of various career options at an early age and of helping them in making a suitable choice to bring out the best hidden in them.  “Children, when asked about their career choice, often talk of becoming IAS, doctor, engineer, CA etc.  But when asked who their role models are, their list contains the names – Sachin Tendulkar,  Amitabh Bachhan,  Saina Nehwal  and Salman Khan!  Why sports and entertainment industry cannot be excellent career choice?  Quizzed the Chief Guest Bhuvnesh Kumar.  He also enquired from the representatives of different schools if they have got a functional career counseling cell at their end, for, schools are the most ideal place for providing career counselling to students, Mr. Kumar added.

Prof. Seema Dheer of Punjab Technical University, Dr. Aiyaz of Glocal University talked of myriad of career opportunities in agriculture and law respectively.  Dr. Inderjeet Gupta, with the help of power point presentation, laid the foundation of the discussion and told that career counseling is not a onetime process but is a lifelong activity since with changing technologies, changing circumstances and ever changing level of education and experience, new avenues open up before us.  What is good for us today may not be good tomorrow also.  We should not only be able to adapt ourselves to the changing circumstances, we should explore and utilize them in our favour also.

The Commissioner lighting the lamp

Sushant Singhal,  founder editor of The Saharanpur Dot Com,  told the gathering that aim of thesaharanpur dot com is to make Saharanpur a respectable brand name so that all products of Saharanpur – including the students, are looked at with respect and confidence in different parts of the world. Whatever is being produced in Saharanpur should carry an invisible ISI mark and students of Saharanpur are no exception.  If we take their good care, offer them proper guidance and training they deserve, they would start receiving preferential treatment over others.  The Saharanpur Dot Com and Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan, with the help of Glocal University will cover the entire range of Hindi and English medium schools in Saharanpur district for this very purpose.

Mr. Manish Kumar,  Branch Manager, HDFC Bank, Gangoh also spoke of his experience when he was scoffed at by his own well-meaning parents and relatives when he revealed ‘agriculture’ as his career choice.  Isn’t agriculture a great career choice?  After all, agriculture is an infinitely wide arena covering vast choices including bio medical sciences, bio-chemistry and international marketing to name a few.   He also felt sad that self-employment doesn’t get the importance it deserves when we are informing students of various career choices.

सियासी चुटकियां

सहारनपुर के लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार एवं कवि डा. वीरेन्द्र आज़म ने द सहारनपुर डॉट कॉम के लिये सियासी चुटकियां भेजी हैं और वायदा किया है कि वह हमारे पाठकों का अपनी चुटकियों से आगे भी मनोरंजन करते रहेंगे।   प्रस्तुत है सियासी चुटकियों की पहली किश्त …

मोदी जी ने भर लई, सत्ता की हुंकार,
सोनिया ने भी थमा दई, राहुल को पतवार।
राहुल को पतवार, फूल खिलने से रोको,
मकसद पूरा हो, साधन कितने भी झोंको!!

केजरी ने है कर दिया, ’भ्रष्टों’ का ऐलान,
पूरी सूची पढ़ गये, रख शीला का ध्यान।
रख शीला का ध्यान, बात पर कायम,
संग राहुल के आये, माया और मुलायम॥

azam_pp

 

 

 

– डा. वीरेन्द्र आज़म,
प्रेस लेन, मल्हीपुर रोड, निकट जैन कालिज, सहारनपुर

भ्रष्टाचार की गंगोत्री कहां है?

जब से भ्रष्टाचार को लेकर देश में व्यापक बहस छिड़ी है, एक बात बार-बार कही जा रही है कि देश में भ्रष्टाचार बहुत गहराई तक जड़ें जमा चुका है, इसे मिटा पाना संभव नहीं है। कुछ लोगों का तो स्पष्ट मत है कि भ्रष्टाचार हमारे खून में शामिल है और हम भारतीय ऐसे ही हैं ।  भ्रष्टाचार की समस्या का विश्लेषण करना है तो पहले कुछ मूलभूत प्रश्नों के जवाब तलाशने चाहियें !  उस जवाब में से ही समस्या का समाधान निकल कर सामने आ सकता है।

पहला प्रश्न,  कोई भी व्यक्ति किसी को रिश्वत देने का प्रस्ताव कैसे कर पाता है? दूसरा प्रश्न,  किसी की इतनी हिम्मत कैसे हो पाती है कि वह किसी से रिश्वत मांग सके?  तीसरा प्रश्न,  रिश्वत का प्रस्ताव आखिर क्यों किया जाता है?

पहले प्रश्न का उत्तर है – संभावना का नियम! चूंकि, समाज में रिश्वत लेना-देना आम हो चुका है इसलिये इस संभावना के आधार पर कि ये व्यक्ति भी रिश्वत लेता होगा, उसे रिश्वत का प्रस्ताव किया जाता है।  किसी ईमानदार व्यक्ति के लिये किसी को भी रिश्वत देने का प्रस्ताव करना बहुत कठिन होता है।  उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ती कि किसी को रिश्वत ऑफर करे।  हां, जो लोग दिन-रात विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत देकर अपना या दूसरों का काम कराने के आदी हैं, उनकी हिम्मत खुल जाती है और वह बड़े आत्मविश्वास के साथ किसी को भी रिश्वत का प्रस्ताव दे देते हैं।  यदि आप एक साल या छः महीने किसी वकील के सहायक के रूप में कार्य कर लें तो आप रिश्वत देने में महारत हासिल कर लेंगे। बेखटके किसी की भी शर्ट की पाकिट में नोट सरका देना और उसका कंधा थपथपा कर कहना, “चल, अब फटाफट साइन कर !“ कुछ लोगों के लिये बहुत सरल हो जाता है। कचहरी के बाबुओं से लेकर न्यायाधीश तक को रिश्वत देते-देते वकील इस मामले में एक्सपर्ट हो जाते हैं और दलाल की भूमिका के लिये आदर्श उम्मीदवार माने जा सकते हैं।  जो लोग पांच – सात साल वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं वह ये मानने के लिये तैयार ही नहीं होंगे कि बिना रिश्वत के यह दुनिया चल भी सकती है।

अब आया दूसरा प्रश्न कि कोई व्यक्ति रिश्वत कैसे मांग पाता है?  अक्सर रिश्वत मुंह खोल कर मांगनी नहीं पड़ती है।  बस, परेशान करते रहो, किसी का जायज़ काम भी मत करो, बीसियों कानूनी नुक्ते दिखाते रहो, देर करते रहो, मामूली-मामूली गलतियों को भी तिल का ताड़ बना कर दिखाओ, कानूनी कार्यवाही का भय दिखाओ।  जो समझदार होंगे, जल्दी समझ जायेंगे कि इस समस्या का समाधान क्या है, बाकी लोग भी चप्पल घिस – घिस कर देर-सबेर समझ ही जायेंगे।  यह कुछ ऐसा ही है जैसे कुछ पाखंडी पंडित और ज्योतिषी लोग अपनी असामियों को ग्रह-नक्षत्रों के जाल में उलझाते हैं और ’बुरा वक्त आ रहा है’ ’प्राणों पर संकट आ सकता है’, उपाय करना आवश्यक है, इस प्रकार की बातों से उनको आतंकित करते हैं और फिर उपाय के रूप में दान-पुण्य करने के लिये कहते हैं। अपने यजमान की आर्थिक स्थिति के अनुरूप ही ’उपाय’ बताया जाता है ताकि कहीं भाग ना जाये या वहीं बेहोश होकर ना गिर पड़े!  बेचारा यजमान चूंकि पोथी-पत्रों की भाषा नहीं जानता, इन पाखंडियों के चक्कर में उलझता है और अपने ’महादशा को संवारने के लिये, बुरे वक्त को ठीक कराने के लिये’ पंडित जी को दान-पुण्य करता रहता है।   सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी और अधिकारी भी ऐसे ही कानूनी धाराओं के जाल में फंसा कर अपने आसामी को लूटते हैं।  रिश्वत लेना चूंकि कानूनी अपराध है इसलिये इसे इस नाम से न लेकर अन्य नामों से प्राप्त किया जाता है।

जो लोग अपना अनुचित काम कराना चाहते हैं वह तो नोटों का बैग लेकर घूमते फिरते हैं और पता लगाते हैं कि किस अफसर का क्या रेट है!  अलग अलग काम के हिसाब से रेट भी अलग अलग ही होते हैं।  जितनी जल्दी मची हो, उतना ही रेट भी ऊंचा होता जाता है।  मोल-भाव करने के लिये किसी दल्ले की भी अक्सर जरूरत पड़ती है क्योंकि कितना भी भ्रष्ट इंसान हो, वह अपने मुंह से कुछ नहीं मांगना चाहता, दूसरे यह भी देखना पड़ता है कि आसामी विश्वसनीय भी है या नहीं। कहीं स्टिंग आपरेशन तो नहीं होने वाला है!  ऐसे लोग कहते हैं, ’अजी, जमाना बहुत खराब है, कौन जाने कब सी.बी.आई. वाले आकर रंगे हाथ गिरफ्तार कर लें!’

ऐसा क्यों है कि जिस समाज में लाखों व्यक्तियों के बीच में केवल एक-दो व्यक्ति ऐसे भ्रष्ट हुआ करते थे, जो रिश्वत के बिना काम करने को राजी नहीं थे, अब अधिकांश व्यक्ति भ्रष्ट ही दिखाई देते हैं?  सच कितना भी कड़वा हो, यह तो मानना ही होगा कि आजकल समाज में केवल अपवाद के रूप में कुछ व्यक्ति ऐसे बच रहे हैं जो रिश्वत वाली सीट पर बैठने के बावजूद भी रिश्वत नहीं लेते।  ऐसे ईमानदार व्यक्ति अक्सर बाकी साथियों के लिये खतरा या अवरोध माने जाते हैं।  लोग उनका उपहास भी करते हैं और उनसे भयभीत भी रहते हैं।  उपहास इसलिये कि वह एक ऐसे सिस्टम के विरुद्ध जाने का प्रयास कर रहे हैं जो अब बहुत मजबूती ग्रहण कर चुका है और ऐसे व्यक्ति सिस्टम से टकरा कर अपना सिर तो फुड़वा सकते हैं पर सिस्टम को बदल नहीं सकते !  ऐसे व्यक्तियों को उनके अपने घर के सदस्य भी अव्यावहारिक आदर्शवादी के रूप में देखते हैं क्योंकि उनकी ईमानदारी परिवार के सदस्यों के लिये भी कष्टकर हो जाती है।  यदि ईमानदार अधिकारी की पत्नी को हर दूसरे तीसरे महीने बोरिया बिस्तर समेट कर नये अनजान शहर में जाना पड़े, बच्चों का नये स्कूलों में एडमिशन कराना पड़े तो वह समझ नहीं पायेगी कि अपने पति की ईमानदारी के लिये उसके चरण स्पर्श करे या उस ईमानदारी के कारण मिल रहे कष्टों के लिये उस पति को दोषी ठहराये!  ऐसे ईमानदार अधिकारियों की पत्नियां अपनी आर्थिक स्थिति की तुलना हमेशा अपने पति के सहयोगियों की पत्नियों से करती रहेंगी और अपने पति की ईमानदारी के लिये मन ही मन कुढ़ती रहेंगी।  यही नहीं,  ऐसे ईमानदार लोग चूंकि गलत काम के लिये हामी नहीं भरते,  गलत काम होता देख कर विरोध करते हैं,  जहां कहा जाये, वहां हस्ताक्षर नहीं करते – ऐसे में आसामी और सहकर्मी भी उनसे नाराज़ ही रहते हैं और उनसे जल्द से जल्द पीछा छुड़ाने के लिये उनका स्थानांतरण करा देना चाहते हैं।

इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है? कभी भ्रष्ट अफसर अपवाद स्वरूप दिखाई देते थे, अब ईमानदार अफसर अपवाद हो गये हैं।  यह कहने के लिये विवश होना पड़ता है कि इस स्थिति की पूरी की पूरी जिम्मेदारी शासन के शीर्ष पर बैठे लोगों की है।  निजी क्षेत्र में किसी भी कंपनी का मालिक अपने कर्मचारियों के भ्रष्टाचार को सहन नहीं करता, तुरन्त निकाल बाहर करता है। परन्तु सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को ऊपर से संरक्षण मिलता है।  जब मालिक ही करोड़ों – अरबों का गोलमाल करने में जुटा है तो कर्मचारी और अधिकारी भी पीछे क्यों रहें?  शायद यही वज़ह है कि किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को कभी सजा मिली हो, ऐसा सुनाई नहीं देता।  यदि ’दुर्भाग्य से’ कोई भ्रष्ट व्यक्ति रंगे हाथ पकड़ा जाता है तो पूरा भ्रष्ट तंत्र मिल कर उसकी रक्षा करता है, न कर पाये तो उसका भाग्य!  इतना ही नहीं, किसी ईमानदार अफसर को रास्ते से हटाने के लिये भी जाल बिछाया जाता है और झूठे आरोप लगा कर, झूठे साक्ष्य तैयार करके उसे फंसाने की कोशिश की जाती है।

यदि देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करना है तो हमें शीर्ष पर बैठे हुए लोगों से आरंभ करना होगा।  शीर्ष पर बैठे लोगों को कठोरतम दंड तुरन्त दिये जायेंगे तो उसका प्रभाव अगले ही दिन से नीचे तक दिखाई देने लगेगा।  यह कहना कि जन-लोकपाल से क्या भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा जब पूरा का पूरा तंत्र ही भ्रष्ट है, भ्रष्टाचार के संरक्षकों द्वारा प्रायोजित वितंडावाद है, और इससे अधिक कुछ भी नहीं !

यदि कोई सड़क बनाये जाने के दो-तीन महीने के भीतर टूट जाती है तो इसकी सजा परिवहन मंत्री और चीफ इंजीनियर को सलाखों के पीछे जाने के रूप में मिले, ठेकेदार को भी दस-बीस वर्ष के लिये ब्लैकलिस्ट कर दिया जाये तो अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और जूनियर इंजीनियर की क्या मजाल है कि ठेकेदार से कमीशन मांग सकें ?  यदि ठेकेदार को रिश्वत देने के बाद में ही पेमेंट मिलना है तो वह भी कोलतार की जगह थूक से ही काम चला लेता है, सीमेंट के स्थान पर रेत से ही भवन खड़े कर देता है।  असली दोषी ठेकेदार नहीं, पी.ड्ब्लू डी विभाग के कर्ता धर्ता हैं जिनको यदि फांसी पर नहीं लटकाना है तो कम से कम पच्चीस वर्ष के लिये जेल में तो भेजा ही जाना चाहिये।  यही फार्मूला हर विभाग के लिये लागू होना चाहिये !

जनता अपने प्रतिनिधि चुन कर विधान सभाओं में और संसद में भेजती है ताकि वे लोग वहां जाकर जनता के हित की चिन्ता कर सकें, इन सरकारी बाबुओं के ऊपर नियंत्रण रख सकें ।  परन्तु अफसर, नेता और अपराधियों का गठजोड़ मिल कर जनता का ही सत्यानाश करने में लग जाये तो क्रांति की जरूरत पड़ जाती है। भारत में हो तो यह क्रांति अन्ना जैसे लोग अहिंसक उपायों से भी ले आते हैं।  जो लोग संसद की सर्वोच्चता की रट लगाये चले जा रहे हैं, वे या तो भोले भंडारी हैं और या फिर उनके हित इन भ्रष्टाचारियों के हितों के साथ स्थाई रूप से जुड़े हुए हैं।  चूंकि मामला करोड़ों करोड़ रुपये का है, इसलिये सरकार साम – दाम, दंड – भेद हर उपाय अपना कर इस आंदोलन का तिया-पांचा करने को उद्धत है!  यदि अन्ना के पीछे मौजूद जनता के तेवर सख्त होते चले जायें तो सरकार अपना आपरेशन खुद करने के लिये विवश हो सकती है वरना संसद में बैठे सारे भ्रष्ट मिल कर अन्ना के आंदोलन को येन-केन-प्रकारेण खत्म कराना चाहेंगे, अन्ना को बदनाम करना, शारीरिक रूप से अक्षम कर देना – सब कुछ उनके लिये संभव है।  जनता जागेगी, तभी कुछ बात बनेगी !

सितंबर २०१३

केन्द्र की आयात-निर्यात नीति दोषपूर्ण : भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ ने बकाया गन्ना भुगतान न मिलने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि गन्ना मिल माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की भी अवहेलना कर रही हैं।  बाढ़ से पहले से ही सताये हुए किसान अपने गन्ने का भुगतान न दिये जाने के कारण भुखमरी के कगार पर आ पहुंचे हैं और सरकार की ओर से भी कोई राहत नहीं मिल रही है।

भारतीय किसान संघ के महामंत्री श्यामवीर त्यागी ने कहा कि केन्द्र की आयात-निर्यात नीति दोषपूर्ण होने का खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।   सरकार सिर्फ डीज़ल, पैट्रोल, खाद, बीज, दवाई और खाद्यान्नों के दाम बढ़ाये चली जा रही है । उन्होंने कहा कि ये सरकार 2014 में जायेगी पर किसानों को पूरी तरह से बरबाद करके ही जायेगी!   प्रदेश में सांप्रदायिक सद्‌भाव में निरंतर आ रही कमी का दुष्परिणाम गरीब मज़दूर और किसानों को भुगतना पड़ रहा है, उनका ही खून इन दंगों में बहता है।  यह सब तुरन्त बन्द होना चाहिये।

बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि दंगे की निष्पक्ष जांच करके  महिलाओं से छेड़छाड़, गौवंश हत्या आदि  पर प्रभावी रोक लगाने व दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करके ही सरकार व्यापक असंतोष को काबू कर सकती है।   बैठक में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें प्रांतीय उपाध्यक्ष राकेश त्यागी,  जिला अध्यक्ष अरविन्द सिंह, जिला उपाध्यक्ष ठा. राजपाल सिंह, खचेड़ू सिंह, राजेन्द्र फौजी, धर्मेन्द्र पुंडीर , धर्मसिंह सैनी , चौ. ओमपाल सिंह, गीताराम त्यागी, सत्येन्द्र शर्मा, प्रमोद धीमान आदि प्रमुख रहे।

 

थाना चिलकाना में पैट्रोल पंप पर हुई लूट का खुलासा हुआ

19 सितंबर को निम पैट्रोल पंप पर हुई लूट का पुलिस ने खुलासा करने का दावा किया है जिसमें सेल्स मैन मुमताज़ से एक मोबाइल व 92 हज़ार रुपये लूटे गये थे और 35 वर्षीय दिलशाद की हत्या की गई थी।

थाना चिलकाना व क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम द्वारा दो अभियुक्त मंसूर पहलवान (पठानपुरा निवासी) और अय्यूब (मछियारान निवासी, थाना कुतुबशेर)  को गिरफ्तार कर लिया गया परन्तु 4 अभियुक्त अकरम, शमशेर, आरिफ फकीर और असलम काला भागने में सफल रहे।

पुलिस पार्टी में श्री परवेज़ आलम, प्रभारी निरीक्षक, चिलकाना, उ.नि. सुशील वर्मा, जगदीश सिंह,  क्राइम ब्रांच के उपनिरीक्षक प्रशान्त कपिल, रविन्द्र चन्द्र पंत, हैड कांस्टेबिल मुबारिक हसन, कांस्टेबिल पुष्पेन्द्र शुक्ला, सुहेल खान, संजय सोलंकी आदि शामिल थे।

इमरान मसूद को सपा प्रत्याशी घोषित करने पर मिठाई बांटी

समाजवादी युवजन सभा के कार्यकर्त्ताओं ने सपा से कांग्रेस में और फिर पुनः कांग्रेस से सपा में आये पूर्व सहारनपुर नगर पालिका चेयरमैन व पूर्व विधायक इमरान मसूद को सपा द्वारा लोकसभा प्रत्याशी घोषित करने पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का आभार व्यक्त किया और मिठाई बांट कर अपनी खुशी का इजहार किया।

इस अवसर पर शाहरुख खान, अजय उर्फ दीपू, राव अनीश, राजीव सैनी, सचिन, सन्नी कांबोज, शिवम, निखिल, देव, दिग्विजय, प्रवीन कुमार, अभिनव, अनिल, देवेन्द्र चौ.  जितेन्द्र राणा, जमाल साबरी आदि उपस्थित थे।

 

चोरों का आतंक

व्यापारी एसोसियेशन चन्द्रशेखर बाज़ार (कक्कड़ गंज)  ने जनरेटरों के कीमती पुर्ज़ों की लगातार चोरी को लेकर पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने पर आक्रोश जताया और विरोध स्वरूप अपनी दुकानें बन्द कर दीं।    बाद में प्रभारी कोतवाल चावड़ा जी  के चोरों को पकड़ने और सुरक्षा प्रदान करने के आश्वासन पर दुकान खोल दी गईं।

 

कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट: सुशील सैनी

भाजपा किसान मोर्चे के पूर्व प्रदेश मंत्री  सुशील सैनी ने प्रेस नोट जारी करके प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए दावा किया कि विकास के नाम पर बसपा सरकार के कार्यकाल में सिर्फ बसपा नेताओं ने अपना विकास किया था और अब सपा शासन में डेढ़ वर्ष में ही जनता त्राहि त्राहि करने लगी है।   सड़कें टूट कर पहले से भी बदतर हो गई हैं,  बिजली पानी की गंभीर किल्लत है, चिकित्सा व्यवस्था चौपट है,  जनपद सहारनपुर के अनेक क्षेत्रों में बाढ़ आने के बाद बेघरबार होगये गरीबों को राहत देना तो दूर, उनका दुःख दर्द पूछने की भी मंत्रियों को फुरसत नहीं है जबकि लैपटॉप बांटने की होड़ लगी हुई है।   कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट होचुकी है, पुलिसवालों से ही उनकी बंदूकें छीनने की वारदातें होने लगें तो आम जनता की दुरवस्था की कल्पना ही की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि जिस समय किसान को खेत में मेहनत करनी होती है, वह गन्ने के बकाया भुगतान के लिये धरने पर बैठा हुआ है।   बेरोज़गारों को रोज़गार देने में असमर्थ सरकार लॉलीपॉप दिखा कर खुश करने की चेष्टा कर रही है।

 

महाराजा अग्रसैन जयन्ती की जोरदार तैयारियां

अग्रकुल प्रवर्तक शिरोमणि महाराजा अग्रसैन की जयन्ती  वैश्य समाज प्रति वर्ष बड़े धूम धाम से मनाता है ।  इस वर्ष भी  वैश्य अग्रवाल सभा समन्वय समिति (रजि.) के बैनर तले, जनपद सहारनपुर में सक्रिय अनेकानेक संस्थाएं अग्रसैन जयन्ती समारोह की तैयारियों में जुट गई हैं।

रविवार 29 सितंबर 2013 से शनिवार 5 अक्तूबर तक चलने वाले “महाराजा अग्रसैन जयन्ती समारोह 2013 का विवरण देते हुए  वैश्य अग्रवाल सभा समन्वय समिति (रजि.) के अध्यक्ष आदेश अग्रवाल व कोषाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने पत्रकारों को बताया कि सहारनपुर जनपद के 50 से भी अधिक वैश्य अग्रवाल समाज की संस्थायें  समन्वय समिति से सम्बद्ध हैं जो अपने स्थानीय स्तर पर तो जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन करती ही हैं, साथ ही समन्वय समिति द्वारा आयोजित किये जाने वाले सप्ताह भर तक चलने वाले जयन्ती समारोह में भी पूरा सहयोग प्रदान करती हैं।

5 अक्तूबर को शोभा यात्रा

शोभायात्रा प्रभारी आलोक अग्रवाल व रमेश तायल ने इस अवसर पर बताया कि  नयी पीढ़ी के युवाओं में प्रति वर्ष निकाली जाने वाली शोभायात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह है ।  प्रातः 10.30 पर अग्रवाल धर्मशाला, गऊशाला रोड़, सहारनपुर से यह शोभायात्रा आरंभ होगी जिसमें हज़ारों  अग्रबंधु, अग्र बहिनें, माताएं व बच्चे सम्मिलित होंगे।  नगर के विभिन्न बाज़ारों को इस अवसर पर तोरण द्वारों से सजाया जायेगा,   शोभायात्रा के मार्ग में जनता निरंतर अपने – अपने घरों की छतों से पुष्पवर्षा करेगी,  विभिन्न धर्मों, संप्रदायों के संगठनों  के पदाधिकारियों द्वारा इस शोभायात्रा का स्थान स्थान पर स्वागत किया जायेगा जो सांप्रदायिक सद्भाव को पुष्ट करता है।   विशेषकर चौक फव्वारे पर जामा मस्जिद के पदाधिकारियों द्वारा भी इस शोभायात्रा का स्वागत किया जाता रहा है।

सप्ताह भर के कार्यक्रम

सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रमों की श्रंखला का विवरण देते हुए पत्रकारों को जानकारी दी गई कि रविवार 29 सितंबर को प्रातः 9 बजे  महाराजा अग्रसैन चौक, रेलवे रोड, सहारनपुर पर विराजमान महाराजा अग्रसैन की प्रतिमा के सम्मुख ध्वजारोहण व आरती होगी ।  इसके तुरंत बाद 10.30 पर अग्रवाल धर्मशाला में  ध्वजारोहण व उद्‌घाटन कार्यक्रम है।  अन्य कार्यक्रम इस प्रकार रहेंगे –

30 सितंबर – अपराह्न 3 बजे – रसोई की रानी  /  अग्रकुल मेला (अग्रकुल महिला समिति)

1 अक्तूबर – अपराह्न 3 बजे – तोल मोल के बोल (अग्रवाल महिला मित्रमंडल),

1 अक्तूबर – सायं 7 से  10 बजे तक – गोविन्द भार्गव भजन संध्या  (अग्रवाल युवा मंडल)

2 अक्तूबर –  अपराह्न 3 बजे – फैंसी ड्रेस शो ( बच्चों के लिये) ( अग्रवाल महिला समिति)

2 अक्तूबर –  सायं 7 बजे से  – एन. ए. पाशा का मैजिक शो  (अग्रवाल एकता मंच)

3 अक्तूबर – अपराह्न 3 बजे – देशभक्ति गीत (थीम पर) (वैश्य अग्रवाल महिला समिति)

3 अक्तूबर – सायं 7 बजे से –  सांस्कृतिक संध्या (रंजना नैब प्रस्तुति)

5 अक्तूबर – प्रातः 9 बजे – हवन  तत्पश्चात्‌ शोभायात्रा,  अपराह्न 2.30 पर सहभोज कार्यक्रम

कार्यक्रम के सभी आयोजकों ने  समस्त अग्रकुल से आग्रह किया है कि वे अपने – अपने परिवार को लेकर विशाल अग्रकुल परिवार की भावना को प्रगाढ़ करें तथा सामाजिक समरसता और भ्रातृभाव से समाज को ओतप्रोत करने में संस्था के साथ सहभागिता करें।

 

वैश्य अग्रवाल समाज माधव नगर द्वारा जयन्ती कार्यक्रम 16 अक्तूबर को

पिछले लगभग तीन दशकों से  माधव नगर, न्यू माधव नगर, विष्णुधाम, तिलक नगर आदि क्षेत्रों के अग्रकुल वंशजों  को एकसूत्र में पिरोये रखने में तल्लीन वैश्य अग्रवाल समाज माधव नगर ने इस वर्ष का महाराजा अग्रसैन जयन्ती कार्यक्रम आगामी 16 अक्तूबर को निर्धारित किया है।   कार्यक्रम में वैश्य अग्रवाल परिवारों के उन प्रतिभाशाली बच्चों को सम्मानित करने की भी परम्परा है, जिन्होंने अपने स्कूल, कालेज या कैरियर में कोई विशेष उपलब्धि हासिल की हो !   इसके अतिरिक्त बच्चों की कलात्मक अभिरुचि को प्रोत्साहन देने के लिये कला प्रतियोगिता,  बच्चों के लिये नृत्य प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता व महिलाओं के लिये मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

संस्था के अध्यक्ष अनिल गुप्ता,  महामंत्री आदेश जिन्दल व  कोषाध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि  हाई स्कूल में ए ग्रेड, इंटरमीडिएट में 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अग्रकुल के बच्चों को सम्मानित किया जायेगा जिसके लिये उनको  व अन्य सभी प्रतियोगियों को  बुधवार 9 अक्तूबर तक अपने नाम लिखा देने चाहियें।

संपर्क सूत्र – श्री अनिल गुप्ता (अध्यक्ष) 9319777266    श्री आदेश जिन्दल (महामंत्री) 9412541910

 

निःशुल्क  हृदय रोग जांच शिविर का आयोजन

पश्चिमी उ. प्र. संयुक्त उ. व्या. मंडल, रोटरी क्लब सहारनपुर ग्रेटर, भारत विकास परिषद्‍ सहारनपुर मेन तथा हृदय ज्योति फाउंडेशन नई दिल्ली के संयुक्त प्रयासों से आज होटल पंजाब,  पोस्ट ऑफिस रोड, सहारनपुर में    निःशुल्क  हृदय रोग जांच शिविर का आयोजन का आयोजन किया गया जिसमें  राष्ट्रीय ख्याति के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल (Fortis Escorts Heart Institute, New Delhi) के कुशल चिकित्सकों ने  हृदय रोगियों की निःशुल्क  जांच कर उनको चिकित्सकीय परामर्श दिया।

इस अवसर पर Fortis के प्रतिनिधि लोकेश कुमार, नेशनल पैथोलॉजी के वरुण चोपड़ा,  व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष मुकुन्द मनोहर गोयल, रोटरी क्लब सहारनपुर ग्रेटर के पूर्व अध्यक्ष व  प्रोजेक्ट चेयरमैन अजय शर्मा व भारत विकास परिषद मेन, सहारनपुर के प्रोजेक्ट चेयरमैन दीपक गर्ग के अलावा Dr. Z. S. Meharwal, Director of Cardiovascular Surgery, Fortis Escorts Heart Institute व उनकी वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम उपस्थित रही।

उल्लेखनीय है कि Fortis Escorts Heart Institute भारत में सबसे तेज बढ़ते अस्पतालों की श्रंखला – Fortis Healthcare का हिस्सा है जो पिछले 22 वर्षों से हृदय की देखभाल के मामले में अपने अलग मानदंड स्थापित कर रहा है।    200 हृदय रोग विशेषज्ञों  की  कुशल देखभाल व  1600 कर्मचारियों के सहयोग से फोर्टिस इंस्टीट्यूट  वर्ष भर में 14,500 मरीज़ों को भरती करता है  जिनमें   7,200 आपात्कालीन मामले भी होते हैं)  ।

Dr. Z. S. Meharwal ने बताया कि भारत में अकेले 1990 में 23,86,000 मृत्यु हृदय रोग के कारण हुई हैं और यह संख्या 2015 तक दुगनी हो जाने की संभावना है और यह सब हमारी विकृत जीवन शैली, तनावपूर्ण जीवन, दूषित खानपान की आदतों के कारण ही है।

 

एड्स के बारे में जागरुकता बाइक रैली का आयोजन

सहारनपुर जनपद की लोकप्रिय मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रंजना चौधरी, जो  आजकल जनपद में चिकित्सा व्यवस्था में घोर अनियमितताओं के सुधार का बीड़ा उठाये हुए हैं और लगभग रोज़ ही अपने औचक निरीक्षणों व विधिक कार्यवाही के चलते समाचार पत्रों की सुर्खियों में छाई रहती हैं, आज एड्स के बारे में जनजागरुकता हेतु बाइक रैली को हरी झंडी दिखा कर विदा करती दिखाई दीं।   एड्स, यौन रोग व अनचाहे गर्भ से बचने के उपाय के बारे में जन – सामान्य को जागरुक करने के उद्देश्य से इस रैली का आयोजन National Aids Control Organisation व हिन्दुस्तान समाचार पत्र समूह द्वारा किया गया था।

रविकान्त यादव, संचार अधिकारी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में  जनसंख्या की अधिकता के कारण और ग्रामीण क्षेत्रों में स्व्यास्थ सेवाओं व सफाई की कमी के कारण अनेकानेक बीमारियों को पनपने का मौका मिल रहा है।

 

पं. दीन दयाल उपाध्याय जयन्ती

एकात्म मानववाद के प्रणेता प्रखर चिन्तक व पूर्ववर्ती  जनसंघ (वर्तमान भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. पंडित दीन दयाल उपाध्याय  के जन्मदिन के अवसर पर भारतीय उपाध्याय समाज ने 25 सितंबर को केक काट कर खुशी मनाई ।

सभा में धर्मपाल, रणधीर, विक्की, अरविन्द, राहुल, नरेशपाल, रविन्द्र, डा. महेन्द्र, मनोज, रामकुमार, बृजपाल, अनिल, अंकुर, विजयपाल, नितिश (सभी उपाध्याय)  आदि सैंकड़ों लोग उपस्थित रहे।

एकात्म मानववाद की अवधारणा

उल्लेखनीय है कि स्व. पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अमेरिकी  पूंजीवाद व कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित मार्क्सवाद की कमियों  को पहचानते हुए एकात्म मानववाद की अवधारणा प्रस्तुत की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि जहां पूंजीवाद के अन्तर्गत व्यक्ति  समाज का दुश्मन बन जाता है, वहीं साम्यवाद में समाज व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन कर्त्ता हो जाता है।  ऐसे में भारतीय ऋषि मुनियों ने जो जीवन पद्धति विकसित की उसे हम एकात्म मानववाद कह सकते हैं ।  इसमें व्यक्ति समाज के लिये और समाज व्यक्ति के हित में कार्य करता है और दोनों ही एक दूसरे की  प्रगति में सहयोगी बन जाते हैं।   अमेरिका व अन्य पाश्चात्य देशों द्वारा प्रतिपादित पूंजीवाद में व्यक्ति की स्वतंत्रता को सर्वोपरि माना गया है भले ही वह समाज के हित के विरुद्ध ही क्यों न जा रही हो।   इसी प्रकार साम्यवाद में समष्टि के हित की बात करते हुए व्यक्ति के हित को कुचल दिया जाता है जबकि अनेकों व्यक्तियों से मिल कर ही तो समाज बनता है।  यदि कोई जीवन पद्धति व्यक्ति को समाज का दुश्मन समझेगी तो फिर समाज का प्रत्येक घटक एक दूसरे का दुश्मन ही दिखाई देगा।    यह सब विकृत चिन्तन का परिणाम होगा।

इसके सर्वथा विपरीत भारतीय चिन्तन शैली में माना गया है कि व्यक्ति को जहां अपने विकास व उन्नति की स्वतंत्रता है वहीं दूसरी ओर समाज को भी उससे  अनेकानेक अपेक्षाएं हैं जिनको पूरा करना उसका धर्म है।  ऐसे में व्यक्तिगत धर्म और सामाजिक धर्म के बीच में तालमेल बैठाने की पद्धति का नाम ही एकात्म मानववाद है।    स्व. पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने  इस जीवन शैली के आधार पर ही देश की रीति-नीति निर्धारित करने की जिम्मेदारी  तत्कालीन जनसंघ (वर्तमान में भाजपा) को सौंपी थी।   परन्तु हम भारतीय हैं और विदेशी शिक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत स्कूल कॉलेज की पढ़ाई करते करते यह मानसिकता विकसित कर लेते हैं कि  हम भारतीय अपनी खुद की जीवन पद्धति विकसित करने में समर्थ नहीं हैं ।  हमें या तो पूंजीवादी रास्ते पर चलना होगा या साम्यवादी रास्ते पर !   जो बात विदेश से अंग्रेज़ी पुस्तकों में लिख कर आई है, उससे बेहतर हम भारतीय भला कैसे सोच सकते हैं?   इसी कारण एकात्म मानववाद भारत की विश्व को सर्वश्रेष्ठ देन होने के बावजूद भारत में ही लोकप्रिय नहीं हो पाया है और भारत के अंग्रेज़ी दां अर्थशास्त्री एकात्म मानववाद की ए, बी, सी, डी भी नहीं जानते  और देश को अपनी  आयातित जानकारी व शिक्षा के आधार पर ही चलाना चाहते हैं।

12 दिवसीय कला कार्यशाला

सहारनपुर। 5 June | देश के जाने-माने चित्रकारों ने प्रशिक्षु बच्चों के समक्ष कैनवास पर अपनी सर्जना के रंग बिखेरे। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान द्वारा आयोजित 12 दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन विभिन्न राज्यों से आये मूर्धन्य चित्रकारों द्वारा एस.डी. इण्टर कॉलिज सहारनपुर में आयोजित वर्कप में दिन भर उपस्थित रहकर कूंची और रंगों का ऐसा जलवा बिखेरा कि यहाँ उपस्थित प्रशिक्षु बच्चों ने ही नहीं बल्कि अन्य उपस्थित कला प्रेमियों ने सर्जना से साक्षात्कार का भरपूर आनन्द उठाया।

विज्ञानव्रत पेंटिंग बनाने में तल्लीन

विज्ञानव्रत पेंटिंग बनाने में तल्लीन

वर्कशाप की शुरूआत में पूर्व मण्डलायुक्त और चित्रकार आर.पी. शुक्ल द्वारा प्रख्यात चित्रकार डा. विज्ञान व्रत (नोएडा), डा. राम विरंजन (कुरूक्षेत्र), डा. रामबली प्रजापति (दिल्ली) तथा डा. रामशब्द सिंह के साथ मिलकर दीप प्रज्जवलित किया, फिर बाहर से पधारे सभी चित्रकारों द्वारा कैनवास पर अपने हस्ताक्षर करते हुए ऐसे रंग भरे कि वह स्वयं में एक कलाकृति बन गई।

वहाजुल हक (calligraphy expert) हस्ताक्षर करते हुए

वहाजुल हक (calligraphy expert) हस्ताक्षर करते हुए

वर्कशाॅप में डा. जगदीश वर्मा (मुजफ्फरनगर), डा. एस.के. कुशवाहा (कुरूक्षेत्र), डा. विज्ञान व्रत (नोएडा), डा. रश्मि शर्मा (हापुड़), डा. रामबली प्रजापति (दिल्ली), डा. राम विरंजन (कुरूक्षेत्र वि.वि.), डा. प्रतिभा (रूड़की), डा. संतोष बिन्द (इलाहाबाद), डा. ममता सिंह (देहरादून), कमलनाथ, प्रशान्त त्रिपाठी (देवबंद) तथा व्हाजुल हक (मुरादाबाद) ने अपनी कला कृतियाँ बनाई, जिनका प्रदर्शन 17 जून से 19 जून तक नवनिर्मित आर्ट गैलरी में चलने वाली प्रदर्शिनी में अन्य कलाकृतियाँ के साथ किया जायेगा।

एस.डी. कालिज के प्रधानाचार्य सुरेन्द्र मोहन सारस्वत व अन्य

एस.डी. कालिज के प्रधानाचार्य सुरेन्द्र मोहन सारस्वत व अन्य

आर.पी. शुक्ल - चित्रकार, रामशब्द सिंह एवं अन्य

आर.पी. शुक्ल – चित्रकार, रामशब्द सिंह एवं अन्य

डा. ममता सिंह (देहरादून)

डा. ममता सिंह (देहरादून)

दो कलाकारों का स्नेहपूर्ण मिलन - विज्ञान व्रत एवं रामशब्द सिंह

दो कलाकारों का स्नेहपूर्ण मिलन – विज्ञान व्रत एवं रामशब्द सिंह

देश के विभिन्न भागों से आने वाले मूर्धन्य चित्रकार यहां मौजूद थे।

देश के विभिन्न भागों से आने वाले मूर्धन्य चित्रकार यहां मौजूद थे।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अरिमर्दन सिंह गौर ने बताया कि वर्कशाॅप प्रातः 8 बजे से 10 बजे तक एस.डी. इण्टर कालेज में प्रतिदिन चलेगी। श्री गौर ने यह भी बताया कि वर्कशाप में आए प्रशिक्षुओं के आग्रह पर वर्कशाप को सभी उम्र के प्रशिक्षणार्थियों के लिए खोल दिया गया है। पहले इसे कक्षा 9 से 12 तक विद्यार्थियों तक चलाये जाने की ही योजना थी।

कला संगोष्ठी

आई.एम.ए. भवन में आयोजित कला-संगोष्ठी

आई.एम.ए. भवन में आयोजित कला-संगोष्ठी

सहारनपुर : 4 जून । क्या ललित कलायें बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाती हैं? क्या वह बच्चों को एक बेहतर कैरियर भी प्रदान कर सकती हैं? क्या ललित कलाओं का मानव जीवन में अभिन्न स्थान होना चाहिये? सहारनपुर में आज आयोजित की गई कला संगोष्ठी इन मुद्दों पर विशिष्ट कलाकारों के विचार आमंत्रित करने के लिये आयोजित की गई थी जिसमें डा. विज्ञान व्रत (मुख्य अतिथि), डा. आर.पी. शुक्ल (अध्यक्षता), डा.एस.के. कुशवाहा, कुरुक्षेत्र वि. विद्यालय, डा. जगदीश वर्मा, मुज़फ्फरनगर, डा. राम विरंजन, डा. रश्मि शर्मा, डा. ममता सिंह, डा. महावीर सिंह, डा. डी.सी. अग्रवाल, डा. मधु जैन, डा. संतोष बिन्द आदि प्रख्यात् कलाकारों व कलाविदों को आमंत्रित करके एक सार्थक प्रयास किया गया कि कला की शिक्षा को एक जन-आन्दोलन का स्वरूप दिया जाये।

इस अवसर पर बोलते हुए डा. आर.पी. शुक्ल ने कहा कि आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में कार्य करें, उसमें निपुणता व विशिष्टता हासिल करने से ही सफलता और प्रसिद्धि हासिल होती है। कला तो मानव जीवन के जन्म से ही उसके साथ अभिन्न रूप से जुड़ जाती है। कला का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह एक पीढ़ी को पुरानी सारी पीढ़ियों से जोड़े रखती है। हम यदि अपने 5000 वर्ष पुराने पुरखों के बारे में जानते हैं तो यह सिर्फ कला के बलबूते ही संभव हो पा रहा है। केनवास पर, मिट्टी से, पत्थर पर आकृतियां उकेर कर हम अपने वर्तमान को स्थायित्व देते हैं, उसे अमर कर देते हैं। मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए डा. विज्ञान व्रत ने कहा कि यदि हमें बच्चों को संवेदनशील बनाना है तो ललित कलाओं के प्रति उनमें रुचि जाग्रत करने के लिये हमें प्रयास करने होंगे। डा. रामबली प्रजापति ने कला बाज़ार और कला के अर्थशास्त्र पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बाहर से विशेष आमंत्रण पर पधारे सभी अतिथियों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया।

इससे पहले गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अरिमर्दन गौड़ ने इस कला-अभियान के महत्व एवं उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की पीढ़ी कला से दूर हो रही है, स्कूल कालेजों में कला विषय व कला संकाय धीरे – धीरे बन्द किये जा रहे हैं क्योंकि इन विषयों के लिये छात्र ही नहीं मिल रहे हैं। समाज में विषमता, कटुता, वैमनस्य बढ़ रहे हैं। कला को जीवन से दूर करने के ये दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में हमारा प्रयास है कि देश के लब्धप्रतिष्ठ कलाकारों को एक मंच पर लाकर इस मुद्दे पर न सिर्फ चर्चा कराई जाये बल्कि उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से बच्चों को प्रेरित किया जाये, उनको रोल मॉडल के रूप में बच्चों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाये। इसके लिये 5 जून से 15 जून तक स्थानीय एस.डी. इंटर कालिज में कला की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विशिष्ट कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन बच्चों के सम्मुख करेंगे ताकि बच्चे एक कलाकृति का निर्माण होता हुआ अपने सम्मुख देख सकें और उससे प्रेरणा ग्रहण कर सकें। इसके पश्चात्‌ दि. 16 जून को एस.डी. इंटर कालिज में ही कला प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। 17 जून से 19 जून तक स्थानीय जनमंच में सद्यःनिर्मित वातानुकूलित कलादीर्घा में कला प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा।

कार्यक्रम का संचालन राकेश शर्मा ने किया।

SRE News Capsule 17 May

Students force roll back of fee at JVJ College

The agitating students of Drawing and Painting department at J V Jain College got an order issued by the V.C., CCS University for rolling back of increased fee. A delegation of students led by Dr. Vivek Agrawal and Students Union activist Manjeet Singh, Sahdev Gurjar, Gajendra Sharma, Meenakshi, Sapna, Ruhina Nusrat etc., had met the Vice Chancellor Mr. Goyal to apprise him of the hardships being faced by the students in the wake of unscheduled fee hike without any notice.  The VC having sensed the emergency like situation issued instructions to take the hike back to a lot of exhileration of the agitated students.

The I/charge of Examination A.K. Jain told the newspersons that the forms will now be submitted with revised fee on Friday morning.

Results declared in various schools and colleges

It is season for joyous celebrations interspersed by occasional gloom which result from the results of annual exams being declared in various schools these days.  While in Behat Principal Mukesh Kamboj of Shaheed Udham Singh Memorial School, Dandauli Khera congratulated the successful students and gave away trophies and certificates, the students of Maharshi Dayanand Junior High School, Saharanpur also had a gala time celebrating their success after year-long hard work.

K P Singh, the State Secretary of U.P. Recognised Schools Teachers Association (non-financed) expressed his faith that the talented students of today will form the solid backbone of the nation.  Before his address, the students offered Saraswati Vandana and a welcome song.  Chhavi Mittal, Ankita, Sakshi, Swati, Pravesh, Tinku, Shivani, Sonia and Saurabh etc. were among those students who stood in merit.

Quantum Global distributes scholarships

Toppers Institute of Science and Mathematics together with Quantum Global Campus gave away scholarships to the students.  Prashant Gautam of St. Mary’s Academy and Rudra Pratap of Rainbow got Rs. 5,000/- each by way of scholarship.  The students thanked the institutions for this financial support which came their way as a coveted scholarship.